देश बुन्देल में आके शहर नौगाव को देखे ,
मिलेंगे खाश चौराहे महोबा और निवाड़ी को
वही से रास्ता छोटा जो जाता है बिलहरी को
दरोगा की रपट छापे, शहर काजी का वया देखे ......................
सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक हजरत गुलाब शाह बाबा
सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक हजरत गुलाब शाह बाबा
कभी नौगांव बुंदेलखंड की राजधानी हुआ करता था, ऐ छोटा सा कस्बा सौ से ज्यादा चौराहों वालाा बुंदेलखंड की सभी रियासतों के 'हाउस' हुआ करते थे वहांा आज उसी नौगांव, बुंदेलखंड की एक ऐसी कहानी बता रहा हूं जो मुल्क में धर्म के नाम पर वितंडा खडा करने वालों की आंखें खोल देगाा यहां हर साल अक्तूबर में बाबा गुलाब शाह की मजार पर उर्स होता हैा हर जाति धर्म के लोग यहां आते हैंा दिलचस्प बात यह है कि एक इस्लामी सूफी की मजार पर 'बिस्मिल्लाह' यानी 786 और ओम नम- शिवय साथ साथ लखिा हैा मजार की दीवारों पर हर धर्म के चित्र, वाक्य खुदे हैंा यहां आने वाले किसी भी मुसलमान या हिंदू का कभी धर्म भ्रष्ट नहीं हुआा
कभी नौगांव बुंदेलखंड की राजधानी हुआ करता था, ऐ छोटा सा कस्बा सौ से ज्यादा चौराहों वालाा बुंदेलखंड की सभी रियासतों के 'हाउस' हुआ करते थे वहांा आज उसी नौगांव, बुंदेलखंड की एक ऐसी कहानी बता रहा हूं जो मुल्क में धर्म के नाम पर वितंडा खडा करने वालों की आंखें खोल देगाा यहां हर साल अक्तूबर में बाबा गुलाब शाह की मजार पर उर्स होता हैा हर जाति धर्म के लोग यहां आते हैंा दिलचस्प बात यह है कि एक इस्लामी सूफी की मजार पर 'बिस्मिल्लाह' यानी 786 और ओम नम- शिवय साथ साथ लखिा हैा मजार की दीवारों पर हर धर्म के चित्र, वाक्य खुदे हैंा यहां आने वाले किसी भी मुसलमान या हिंदू का कभी धर्म भ्रष्ट नहीं हुआा
इसके बारे में कई
चमत्कारी कहानियां भी हें जिन पर मैं भरोसा तो नहीं करता लेकिन यहां का
सौहार्द एक शास्वत सत्य है और इसे किसी चमत्कार नहीं माना जाये
क्योंकि हमारा मुल्क है ही ऐसा, मिलाजुला सांझा संस्क़ति वाला
बाबा के चमत्कार:
यहां धारणा है कि इन्होंने मुर्दों को भी जिंदा किया। पहली घटना इनके शिष्य परसादी दादा (कुशवाहा) बाबा के सामने इनका स्वर्गवास हो गया था। लेकिन बाबा साहब ने इनको पुन: जीवित किया और इन्होंने 10 वर्ष तक जीवित रहे। दूसरी घटना नागौद के राजा को जिंदा करने की है। जिस दिन नागौद के राजा का निधन हुआ उसी दिन उनकी लडक़ी की शादी हुई थी। ग्रामीणों ने बताया कि नौगांव में एक बुजुर्ग फकीर है उनको लेकर जाए शायद कुछ उनकी कृपा से करिश्मा हो जाए। राजा के कुछ संतरी बाबा से मिलने आए, बाबा समझ गए और बाबा ने उन्हें फटकार लगाते हुए कहां कि कुआं प्यासे के पास आता है कि प्यासा कुआं के पास जाता है। फिर संतरी राजा को नौगांव लेकर आए नौगांव में बाबा के चरणों में डाल दिया। बाबा साहब अपनी मस्ती की जलाली हालात में आएं। बाबा ने राजा के पैर से ठोकर मारी और वे जीवित हो गए।और राजा ने आंखें खोली और बीड़ी वाले बाबा के नाम से पुकारने लगे।
बाबा गुलाबशाह के हाथ में हमेशा बीड़ी जलती रहती थी। बाबा ने कहां शादी करने के बाद हमारे पास आना। राजा ने यहां पर एक कुआं भी बनवाया जो आज भी है। और इसका पानी खारा निकला तो बाबा ने कुआं का पानी गिलास में लेकर पिया और उसी पानी को कुआं में डाला तो वह मीठा हो गया। आज भी पानी मीठा है।
बाबा साहब ने मना किया कि न यहां धर्म पेटी लगाए, न चंदा करें, न कोई कमेटी बनाना। इस आदेश का पालन यहां आज भी हो रहा है। बाबा साहब का उर्स 8 अक्टूबर से 14 अक्टूबर में मनाया जाता है। जन्म उत्सव 8 जनवरी को मनाया जाता है। चांद की 26 तारीख को प्रत्येक माह भी छोटा उर्स मनाया जाता है।
पूरे हिन्दुस्तान के कोने कोने से हिन्दु-मुस्लिम एकता व सम्प्रदाय सद्भाव की मिशाल बन चुकी बाबा गुलावशाह की मजार पर हर बर्ष की भाॅति इस बर्ष भी सालाना उर्स का जष्न बड़े धूम धाम से शानदार
तरीके से 8 अक्टूवर को ही मनाया जाता है । इस आयोजन में बड़ी संख्या में
बिभिन्न सम्प्रदायों धर्मो व जातिओं के लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते है । इस
मौके पर बाबा के दरवार में 24 घंटे धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होते है , 8
अक्टूवर को सुबह से ही भक्ति भावना के साथ भक्त लोग अपनी फरियाद लेकर मन
माफिक मुरादो की पूर्ति केलिए मन्नते माॅगते है तथा बाबा की मजार पर सिर
झुका कर अपनी फरियाद करते है जो बाबा साहब उनकी मुरादें को पूरा करते है ।
दोपहर के 12 बजे सामूहिक भण्डारा का आयोजन होता है जिसमंे नगर नौगाॅव सहित
आप पास के बच्चें बूढे महिलायें प्रसाद ग्रहण करती है , नगर के भक्तगण
अपने अपने परिवारों के साथ गाना बजाना के साथ चादर बाबा साहब की मजार पर
चढाते आ रहे है । भक्तगण जो अपनी मुरादें लेकर बाबा साहब की मजार पर
आते हैं , वह अपनी मनमाफिक मुरादों की पूर्ति करते है आज तक बाबा के दरवार
से कोई भी सवाली खाली हाथ नही लोटा इसलिए बाबा गुलाव ष्षाह की कीर्ति दूर
दूर तक फैली है । इस मजार पर रात्रि के समय बुन्देलखण्ड क्षेत्र के जाने
माने कब्बाल गायक कब्बालियों का कार्यक्रम देते है वहंी हिन्दू धर्म के लोग
भगवती जागरण कर गीत संगीत व भजनों से बाबा की आत्मा को प्रषन्न करने का
प्रयास करते है । इस स्थान पर अब प्रत्येक गुरूवार व ष्षुक्रवार के दिन
मेले जैसे आयोजन होता है । इस स्थान की बिषेषता है कि यहां सभी जाति व धर्म
के लोग एकत्रित होकर मत्था टेकते है, पल भर में ऐसा लगता है जैसे
साम्प्रदायिक सौहार्द का पाठ यदि किसी को पढ़ाना हो तो इस स्थान पर उसे
आवष्यक भेजा जावे । ताकि वह यहां एकता को देखकर कुछ सीख सके । स्थानीय
लोगों के अनुसार बाबा की मजार से कोई भी खाली हाथ नही लौटा यही कारण है कि
हर बर्ष हजरत बाबा गुलाव मजार की कीर्ति दूर दूर तक फैलती जा रही है और हर
बर्ष यहां आने बालों की श्रध्दालुओं की संख्या में इजाफा होता जा रहा है ।
बाबा गुलावषाह के भक्तों व्दारा जो भण्डारा किया जाता है उसमें आगरा के
रहने बाले श्री बलवन्त सिंह सरदार व उनका परिवार बाबा साहब पर अटूट बिष्वास
है वह यहां अपने अपने परिवार के साथ भक्तों को प्रसाद वितरण कराते है और
मन की ष्षाॅति केलिए ऐसा कार्य हर बर्ष होता आ रहा है ।
दोपहर के
१२ बजे सामूहिक भण्डारा का आयोजन होता है जिसमें नगर नौगॉव सहित आप पास के
बच्चें बूढे महिलायें प्रसाद ग्रहण करती है , नगर के किराना व्यपारी श्री
हीरा लाल साहू उनकी मॉ दुर्गा बाई अपने पूरे परिवार के साथ दोपहर ४ बजे से
अपने निवास से गाना बजाना के साथ चादर सन् १९८४ से बाबा साहब की मजार पर
चढाते आ रहे है । उन्होने बताया कि जो मुराद हम लेकर बाबा साहब की मजार पर
गये थें वह मन्नत पूरी होने पर आस्था बढ गई और उनकी मजार पर धर्म के रूप
में यह धार्मिक आयोजन कराते है । ।
इस मजार पर
रात्रि के समय बुन्देलखण्ड क्षेत्र के जाने माने कब्बाल गायक कब्बालियों
का कार्यक्रम देते है वहंी हिन्दू धर्म के लोग भगवती जागरण कर गीत संगीत व
भजनों से बाबा की आत्मा को प्रद्गान्न करने का प्रयास करते है । इस स्थान
पर अब प्रत्येक गुरूवार व शुक्रवार के दिन मेले जैसे आयोजन होता है । इस
स्थान की विशेषता है कि यहां सभी जाति व धर्म के लोग एकत्रित होकर मत्था
टेकते है।
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjg09VMYPHcPIaEeA2uPAbT6AGHlXpuWntENOixFvBfVCWbXNkHje7-uhRcqRTCAe2WdXiXlVwPfEVsQyyZycQDrW5x4cKbF7Q1MlXxO2Xq25fOuePekXDiPFoAEFXIvSYvV1HLRlThkVFz/s1600/BABA+GULAB-1.jpg
परसादी दादा
(कुशवाहा) इसादी दादा ने उनके यहां ख्ुाद सेवा की बाबा गुलावषाह के बारे में कहा
जाता है कि वे जिससे प्यार करते थें उसे गाली देते थें मारते थें उन्होने
जिसके साथ भी ऐसा किया उसका कल्याण हुआ ।