गुरुवार, 23 सितंबर 2010

बुंदेलखंड में उड़द और तिल की फसल चौपट :इंडो-एशियन न्यूज सर्विस

बुंदेलखंड के पांच जिले छतरपुर, टीकमगढ़, दमोह, पन्ना और सागर उड़द और तिल के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं, मगर यहां इस बार फसल पूरी तरह बर्बाद होने के आसार बन गए हैं। उड़द की 7,043 हेक्टेयर और तिल की 2,179 हेक्टेयर जमीन में बोई गई फसल पूरी तरह चौपट होने के कगार पर है। फसल का विकास तो भरपूर हुआ है लेकिन इसमें फूल नहीं पनपा है। फसल की अच्छी पैदावार न होने की शिकायतों पर किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग ने हालात का जायजा लेने के लिए संबंधित इलाकों में जांच दल भेजा तो पता चला कि सात हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में उड़द की फसल तो खड़ी है मगर उसमें फल आए ही नहीं हैं।








यही हाल तिल का है। दो हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र ऐसा है जहां तिल की फसल फलविहीन है। दोनों फसलों के संदर्भ मे कृषि विशेषज्ञों की जो जांच रिपोर्ट आई है, उससे पता चलता है कि फसल का वानस्पतिक विकास तो भरपूर हुआ है परंतु प्रजनन अवस्था में परिवर्तित नहीं हो पाई है। दोनों फसलों का आकलन करने पर यह पूरी तरह फल विहीन पायी गई है। जबलपुर के जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों के दल ने तो बुंदेलखंड में बोई गई उड़द व तिल की किस्म को ही सेंट्रल मध्य प्रदेश के अनुकूल नहीं माना है।






बुंदेलखंड में उड़द की आजाद एक व दो, पी यू 40, पी यू 31 किस्मों और तिल की टी के जी 55 किस्म के बीजों की आपूर्ति भारतीय राज्य फोर्म विकास निगम भोपाल ने की है। इस किस्म के उड़द के 950 क्विंटल और तिल के 67 क्विंटल बीजों की आपूर्ति की गई।






पन्ना जिले के महोड़ गांव के किसान मस्तराम राजपूत की 40 हेक्टेयर क्षेत्र में बोई गई तिल में फल नहीं आए है। राजपूत बताते है कि इस इलाके में तिल की प्रति हेक्टयर पैदावार 10 से 12 क्विंटल है और इसकी कीमत 5,000 रूपए प्रति क्विंटल है। इस तरह प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये का तिल उत्पादन होता है। इस बार हाल बुरे हैं। इसकी वजह विभाग के बीजों की किस्म अच्छी न होना बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बीज की किस्म बुंदेलखंड के अनुकूल नहीं थी तो उसकी आपूर्ति क्यों की गई। सरकार और विभाग की चूक ने किसानों को बर्बाद कर दिया है।






इसी तरह उड़द की प्रति हेक्टयर 10 से 15 क्विंटल की पैदावार होती है। उड़द की आजाद एक व दो, पी यू 40, पी यू 31 की किस्म जिस क्षेत्र में बोई गई थी उसमें से 7,043 हेक्टेयर में फल नहीं आए हैं।






सागर संभाग के कृषि विभाग के संयुक्त संचालक डी. एल. कोरी बताते हैं कि उड़द और तिल की फसल बड़े पैमाने पर चौपट हुई है। इसकी वजह दोनों फसलों के बीज की किस्म है। इसी वजह से आपूर्तिकर्ता संस्थान के भुगतान पर रोक लगा दी गई है।






वहीं भारतीय राज्य फोर्म विकास निगम भोपाल के क्षेत्रीय प्रबंधक एस. सी. अग्रवाल का कहना है कि बुंदेलखंड में बरसात तो ठीक हुई लेकिन धूप के अभाव के चलते फल नहीं आए। इस क्षेत्र में कुछ इलाकों में जहां 15 जुलाई के बाद बुआई की गई है वहां पैदावार अच्छी होने की उम्मीद है। जहां तक बीज की किस्म का सवाल है वह बीज पिछले चार साल से किसानों को दिया जा रहा है।






कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री राजा पटैरिया का आरोप है कि बुंदेलखंड में घटिया किस्म के बीज की आपूर्ति की गई है। यह सब कृषि विभाग और प्रशासनिक अमले की सांठगांठ के चलते ही संभव हो पाया है। सरकार ने भले ही बीज आपूर्तिकर्ताओं का भुगतान रोक दिया हो, मगर बर्बाद तो किसान हुआ है। फसल को फायदे का धंधा बनाने का दावा करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राज्य में किसानों के साथ क्या हो रहा है उसका बीज की किस्म ने खुलासा कर दिया है।






वहीं प्रदेश के कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया का कहना है कि क्षेत्र के अनुकूल जो बीज नहीं था उसकी आपूर्ति कैसे की गई उसकी जांच कराई जाएगी, दोषियों पर कार्रवाई करने के अलावा किसानों को मुआवजा देने के प्रयास भी किए जाएंगे।






सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 7,043 हेक्टेयर में 84,514 क्विंटल उड़द का उत्पादन अनुमानित था। उड़द की प्रति क्विंटल बाजार कीमत 4,800 रुपये है लिहाजा 40 करोड की उड़द की फसल चौपट होने के करीब है, इसी तरह तिल की 10 करोड़ से ज्यादा की फसल बर्बाद हो रही है।






श्रोत - इंडो-एशियन न्यूज सर्विस

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