गुरुवार, 24 नवंबर 2011

हजरत गुलाब शाह बाबा बँशीवाले बुंदेलखंड की साझी विरासत मैरे गाव बिलहरी और कुशवाहा परिवार



देश  बुन्देल  में   आके शहर नौगाव को देखे  , 
मिलेंगे खाश चौराहे महोबा और निवाड़ी को 
वही से रास्ता छोटा जो जाता है बिलहरी को

दरोगा की रपट छापे, शहर काजी का वया देखे
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सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक हजरत गुलाब शाह बाबा

सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक हजरत गुलाब शाह बाबा
कभी नौगांव बुंदेलखंड की राजधानी हुआ करता था, ऐ छोटा सा कस्‍बा सौ से ज्‍यादा चौराहों वालाा बुंदेलखंड की सभी रियासतों के 'हाउस' हुआ करते थे वहांा आज उसी नौगांव, बुंदेलखंड की एक ऐसी कहानी बता रहा हूं जो मुल्‍क में धर्म के नाम पर वितंडा खडा करने वालों की आंखें खोल देगाा यहां हर साल अक्‍तूबर में बाबा गुलाब शाह की मजार पर उर्स होता हैा हर जाति धर्म के लोग यहां आते हैंा दिलचस्‍प बात यह है कि एक इस्‍लामी सूफी की मजार पर 'बिस्‍मिल्‍लाह' यानी 786 और ओम नम- शिवय साथ साथ लखिा हैा मजार की दीवारों पर हर धर्म के चित्र, वाक्‍य खुदे हैंा यहां आने वाले किसी भी मुसलमान या हिंदू का कभी धर्म भ्रष्‍ट नहीं हुआा
 इसके बारे में कई चमत्‍कारी कहानियां भी हें जिन पर मैं भरोसा तो नहीं करता लेकिन यहां का सौहार्द एक शास्‍वत सत्‍य है और इसे किसी चमत्‍कार नहीं माना जाये क्‍योंकि हमारा मुल्‍क है ही ऐसा, मिलाजुला सांझा संस्‍क़ति वाला
हजरत बाबा गुलाब शाह रहमत उल्लाह अलैह का संबंध हजरत बाबा ताजूउद्दीन ओलिया सरकार नागपुर से है, वे इनके गुरु थे। बाबा गुलाब शाह नौगांव निवासी थे। उनका जन्म लगभग 1858 में हुआ था। उनका परदा 1966 में हुआ। करीब 108 वर्ष पूर्व मजार में भगवान कृष्ण की मूर्ति बाबा ने अपने सामने बनवाई। बाबा गुलाब शाह कृष्ण उपासक थे लेकिन वे सभी धर्मों को मानने वाले थे। आज भी इनकी दरगाह में सभी धर्मों के लोगों का आना होता है और सरीफ सभी लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

बाबा के चमत्कार:

यहां धारणा है कि इन्होंने मुर्दों को भी जिंदा किया। पहली घटना इनके शिष्य परसादी दादा (कुशवाहा) बाबा के सामने इनका स्वर्गवास हो गया था। लेकिन बाबा साहब ने इनको पुन: जीवित किया और इन्होंने 10 वर्ष तक जीवित रहे। दूसरी घटना नागौद के राजा को जिंदा करने की है। जिस दिन नागौद के राजा का निधन हुआ उसी दिन उनकी लडक़ी की शादी हुई थी। ग्रामीणों ने बताया कि नौगांव में एक बुजुर्ग फकीर है उनको लेकर जाए शायद कुछ उनकी कृपा से करिश्मा हो जाए। राजा के कुछ संतरी बाबा से मिलने आए, बाबा समझ गए और बाबा ने उन्हें फटकार लगाते हुए कहां कि कुआं प्यासे के पास आता है कि प्यासा कुआं के पास जाता है। फिर संतरी राजा को नौगांव लेकर आए नौगांव में बाबा के चरणों में डाल दिया। बाबा साहब अपनी मस्ती की जलाली हालात में आएं। बाबा ने राजा के पैर से ठोकर मारी और वे जीवित हो गए।और राजा ने आंखें खोली और बीड़ी वाले बाबा के नाम से पुकारने लगे।




बाबा गुलाबशाह के हाथ में हमेशा बीड़ी जलती रहती थी। बाबा ने कहां शादी करने के बाद हमारे पास आना। राजा ने यहां पर एक कुआं भी बनवाया जो आज भी है। और इसका पानी खारा निकला तो बाबा ने कुआं का पानी गिलास में लेकर पिया और उसी पानी को कुआं में डाला तो वह मीठा हो गया। आज भी पानी मीठा है। 


बाबा साहब ने मना किया कि न यहां धर्म पेटी लगाए, न चंदा करें, न कोई कमेटी बनाना। इस आदेश का पालन यहां आज भी हो रहा है। बाबा साहब का उर्स 8 अक्टूबर से 14 अक्टूबर में मनाया जाता है। जन्म उत्सव 8 जनवरी को मनाया जाता है। चांद की 26 तारीख को प्रत्येक माह भी छोटा उर्स मनाया जाता है।
पूरे हिन्दुस्तान के कोने कोने से हिन्दु-मुस्लिम एकता व सम्प्रदाय सद्भाव की मिशाल बन चुकी बाबा  गुलावशाह की मजार पर हर बर्ष की भाॅति इस बर्ष भी सालाना उर्स का जष्न बड़े धूम धाम से शानदार तरीके से 8 अक्टूवर को ही मनाया जाता है । इस आयोजन में बड़ी संख्या में बिभिन्न सम्प्रदायों धर्मो व जातिओं के लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते है । इस मौके पर बाबा के दरवार में 24 घंटे धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होते है , 8 अक्टूवर को सुबह से ही  भक्ति भावना के साथ भक्त लोग अपनी फरियाद लेकर मन माफिक मुरादो की पूर्ति केलिए मन्नते माॅगते है तथा बाबा की मजार पर सिर झुका कर अपनी फरियाद करते है जो बाबा साहब उनकी मुरादें को पूरा करते है ।  दोपहर के 12 बजे सामूहिक भण्डारा का आयोजन होता है जिसमंे नगर नौगाॅव सहित आप पास के बच्चें बूढे महिलायें प्रसाद ग्रहण करती है , नगर के भक्तगण अपने अपने परिवारों के  साथ  गाना बजाना के साथ चादर  बाबा साहब की मजार पर चढाते आ रहे है । भक्तगण  जो  अपनी मुरादें  लेकर बाबा साहब की मजार पर आते हैं , वह अपनी मनमाफिक मुरादों की पूर्ति करते है आज तक बाबा के दरवार से कोई भी सवाली खाली हाथ नही लोटा इसलिए बाबा गुलाव ष्षाह की कीर्ति दूर दूर तक फैली है ।   इस मजार पर रात्रि के समय बुन्देलखण्ड क्षेत्र के जाने माने कब्बाल गायक कब्बालियों का कार्यक्रम देते है वहंी हिन्दू धर्म के लोग भगवती जागरण कर गीत संगीत व भजनों से बाबा की आत्मा को प्रषन्न करने का प्रयास करते है ।  इस स्थान पर अब प्रत्येक गुरूवार व ष्षुक्रवार के दिन मेले जैसे आयोजन होता है । इस स्थान की बिषेषता है कि यहां सभी जाति व धर्म के लोग एकत्रित होकर मत्था टेकते है, पल भर में ऐसा लगता है जैसे साम्प्रदायिक सौहार्द का पाठ यदि किसी को पढ़ाना हो तो इस स्थान पर उसे आवष्यक भेजा जावे । ताकि वह यहां एकता को देखकर कुछ सीख सके । स्थानीय लोगों के अनुसार बाबा की मजार से कोई भी खाली हाथ नही लौटा यही कारण है कि हर बर्ष  हजरत बाबा गुलाव मजार की कीर्ति दूर दूर तक फैलती जा रही है और हर बर्ष यहां आने बालों की श्रध्दालुओं की संख्या में इजाफा होता जा रहा है । बाबा गुलावषाह के भक्तों व्दारा जो भण्डारा किया जाता है उसमें आगरा के रहने बाले श्री बलवन्त सिंह सरदार व उनका परिवार बाबा साहब पर अटूट बिष्वास है वह यहां अपने अपने परिवार के साथ भक्तों को प्रसाद वितरण कराते है और मन की ष्षाॅति केलिए ऐसा कार्य हर बर्ष होता आ रहा है । 

दोपहर के १२ बजे सामूहिक भण्डारा का आयोजन होता है जिसमें नगर नौगॉव सहित आप पास के बच्चें बूढे महिलायें प्रसाद ग्रहण करती है , नगर के किराना व्यपारी श्री हीरा लाल साहू उनकी मॉ दुर्गा बाई अपने पूरे परिवार के साथ दोपहर ४ बजे से  अपने निवास से गाना बजाना के साथ चादर सन्‌ १९८४ से बाबा साहब की मजार पर चढाते आ रहे है । उन्होने बताया कि जो मुराद हम लेकर बाबा साहब की मजार पर गये थें वह  मन्नत पूरी होने पर आस्था बढ  गई और उनकी मजार पर  धर्म के रूप में यह धार्मिक आयोजन कराते है । ।

इस मजार पर रात्रि के समय बुन्देलखण्ड क्षेत्र के जाने माने कब्बाल गायक कब्बालियों का कार्यक्रम देते है वहंी हिन्दू धर्म के लोग भगवती जागरण कर गीत संगीत व भजनों से बाबा की आत्मा को प्रद्गान्न करने का प्रयास करते है । इस स्थान पर अब प्रत्येक गुरूवार व शुक्रवार के दिन मेले जैसे आयोजन होता है । इस स्थान की विशेषता है कि यहां सभी जाति व धर्म के लोग एकत्रित होकर मत्था टेकते है।
 https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjg09VMYPHcPIaEeA2uPAbT6AGHlXpuWntENOixFvBfVCWbXNkHje7-uhRcqRTCAe2WdXiXlVwPfEVsQyyZycQDrW5x4cKbF7Q1MlXxO2Xq25fOuePekXDiPFoAEFXIvSYvV1HLRlThkVFz/s1600/BABA+GULAB-1.jpg
 
धार्मिक उन्माद बैमनस्या के माहौल के बीच हजरत बाबा गुलाब ष्षाह की मजार सर्वधर्म सौहार्द की अदभूत मिषाल है, हजरत बाबा गुलाब ष्षाह की मजार के साथ भगवान कृष्ण का भी सजदा किया जाता है, भगवान कृष्ण सहित सभी देवी-देवताओं की फोटो चित्र स्थापित है, पूरे हिन्दुस्तान के कौन कौन से यहां आने बाले लोगों में मुस्लिमों से ज्यादा संख्या हिन्दूओं की होती है ।  नौगाॅव से 3 किमी की दूरी पर ग्राम बिलहरी है, हजरत बाबा गुलाब ष्षाह की मजार प्रवेष व्दार से ही इसकी बिषेष स्थिति स्पष्ट होने लगती है मजार के प्रवेष व्दार में ही राम तथा ऊँ ओंम ष्षव्द जगह-जगह अंकित है हिन्दू धर्म में कल्याणकारी माने जाने बाले तमाम ष्षव्द भी दीवालों पर उूकेरे गये है । मजार के अंदर प्रवेष करते ही बड़ी सी घंटी लगी है जो मंदिरों में देखने को मिलती है । मजार के अंदर में जहां भी नजर पड़े वही सम्प्रदायिक सौहार्द के प्रतीक चिन्ह मिल जाते है, इसके आगे है हजरत बाबा गुलाबषाह की मजार के चारो ओर मुस्लिम धर्म के अनुरूप नक्कासी है, तो वहीं भगवान श्रीकृष्ण व राम के चित्र नजर आते है । बगल के कमरे में गुलावषाह के जीवन से संबंधित बस्तुयें है, यह वह कुर्सी है जिसमें बाबा गुलाहषाह बिराजा करते थें उनके सोने केलिए इस्माल किया जान बाबा पंलग है श्रध्दालू इन्हे देंखकर श्रध्दा से नत मस्तक हो जाते है । बाबा की मजार परिसर के चारो ओर हिन्दू धर्म के सभी देवी देवताओं के चित्रों की भरमार है । केवल हिन्दू मुस्लिम धर्मो से संबधित चींजो के अलावा यहां पर गुरू नानक तथा साॅई बाबा के चित्र है , बाबा गुलाबषाह की ये मजार सभी धर्मो सौहार्द का संकेत देती है , लेकिन यह बात उतनी ही सत्य है कि बाबा गुलावषाह का जीवन सम्प्रदायिक एकता की मिषाल रहा है नौगाॅव से सटै ग्राम बिलहरी में जन्म बाबा गुलावषाह का जीवन फक्कड़ पन की मिषाल थी नाचने गाने का उन्हे ष्षौक था , इसी ष्षौक के कारण बे नागपुर में पहुॅच गये जहां ताजुद्दीन बाबा से मिले बाबा गुलावषाह को रूहानी ताकत मिली मजार में लम्बे समय से रहने बालों ने बताया कि बाबा गुलावषाह की ष्षादी होषंगावाद हुई थी तमाम दिक्कतों परेषानियों से जुझते हुये बाबा गुलाबषाह कई सालों बाद बापिस लौटे तो परिवार ने उन्हे अपनाया नही । बे अनाथ आश्रम में रहे , तथा जिस स्थान पर मजार है वही स्थाई रूप से रहने लगे ।  
परसादी दादा (कुशवाहा)  इसादी दादा ने उनके यहां ख्ुाद सेवा की बाबा गुलावषाह के बारे में कहा जाता है कि वे जिससे प्यार करते थें उसे गाली देते थें मारते थें उन्होने जिसके साथ भी ऐसा किया उसका कल्याण हुआ ।

15 टिप्‍पणियां:

  1. thanks such a wonder-full blog . nawgong is my hometown so i know its all truth

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  2. Thanks so much for writing this about Baba Sahab...Baba Sahab ke bare me jitna likha jaye kam h unke chamtkar bht h kuch duniya Ko dikhe kuch nahi dikhe. Kutte Ko laat markar Jinda karna apki saikdo karamato me se ek h..apki last v Jaan ATA Karti h to sochiye kya makam h Baba Sahab ka. Koi unko smjh Ni Sakta.

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  3. Nowgong is my birth place nd i also know many more things and miracles of baba sahab.....He was god.jai baba gulaab shah ji ki..

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  4. Aapka bahut bahut dhNyawad jo aapne baba k bare mai itni jankari hum sako di.....Jai ho gulshan baba ki

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  5. बहुत बहुत धन्यवाद आप का जो आपने हमारे मलिक बाबा गुलाब शाह के बारे मे लिखा.... उनकी बात ही अलग है उनके दरबार के कुत्ते भी जलेबी खाया करते थे ...और मेरे परिवार पर उन्हीं की रहमत का करम है।। और मेरे बब्बा रहमतों का करम बनाए रखना ... जय बाबा गुलाब साहब की🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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  6. बाबा गुलाब शाह हैं तभी तो मैं हूँ ।।
    जय हो बाबा की ।।
    जय हो साईनाथ महाराज की ।।।

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  7. आपका बहुत 2 धन्यवाद, मै बिलहरी का हूँ और मुझे ही पता नहीं था बाबा के बारे मै

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  8. जय बाबा गुलाब शाह बंशी वाले बाबा

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  9. जय जय श्री राम, जय बाबा गुलाब साह की❤️🚩

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